हमारे बारे में हम तो एक गुमनाम चिठ्ठी की तरह जिसका कोई पता ही नहीं है ,जिसको मिल गई पड़ ली ,पड़ा तो मालूम पड़ा की आखिर हम है कौन ,नहीं मिली तो बस मस्त हो कर घूमता रहा .. एक अजनबी की तरह अपने ही शहर में अपना ही पता पूछता हुआ ...........
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